आजादी के 77 साल:उपलब्धियां और संभावनाएं।
"आज़ादी की राह में, हर कदम पर जश्न हो, इस चमन की मिट्टी में, बस यही अमन हो।"(गुलज़ार)15 अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए गर्व और उल्लास का दिन है। यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अदम्य साहस और बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने हमारे देश को एक नई दिशा दी और हमें आजादी का अमूल्य तोहफा दिया।जब सूरज की पहली किरण 15 अगस्त को हमारे देश की धरती पर पड़ती है, तो यह हर दिल में स्वतंत्रता के महान सौंदर्य की चमक लाती है। यह दिन हमें न केवल हमारे इतिहास की याद दिलाता है, बल्कि एक नए भविष्य की भी आशा देता है l
यह 15 अगस्त, देश की आजादी के 77 साल का गवाह बन रहा है। इसके साथ ही 78वें स्वतंत्रता दिवस, 2024 पर पहली बार "हर घर तिरंगा आभियान” (9- 15अगस्त)चलाया जा रहा है।
आजादी की 78 वी वर्षगांठ पर ,यह समय है कि हम न केवल अपने देश की यात्रा को समझें बल्कि भविष्य पर भी ध्यान दें, भारत ने अपने शुरुआती दिनों में कई चुनौतियों का सामना किया आज़ादी के तुरंत बाद हमने विभाजन के वीभत्स रूप का दंभ झेला,एक चरमराती हुई अर्थव्यवस्था के मोड़ पर छोड़ा हुआ देश; गरीबी,बेरोजगारी,भुखमरी जैसी अनेकों समस्याओं से जूझ रहा था, ऐसे में पड़ोसियों के विश्वासघात ने भी हमें अपने नरम दृष्टिकोण को समय की मांग के अनुरूप लचीला बनाने के लिए प्रेरित किया। इन चुनौतियों के साथ ही साथ हमने अपने कर्मठता व तत्पर्यता का परिचय देते हुए अनेक क्षेत्रों में अपना लोहा भी मनवाया ।
अनाज की कमी से लेकर अनाज का निर्यातक बनने तक का सफर ; औपनिवेशिक सत्ता ने कृषि व्यवस्था को उस हाल पर पहुंचा दिया था कि 1951-52 के दौरान केवल 5 करोड़ टन खाद्यान्न का उद्घाटन उत्पादन होता था ,जो की 35 करोड़ जनता का पेट भरने के लिए पर्याप्त नहीं था ,1962 में हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को देश की जनता से एक वक्त उपवास रखने की अपील करनी पड़ी उन्होंने कहा कि "पेट पर रस्सी बांधो,साग सब्जी खाओ,सप्ताह में एक वक्त उपवास करो, देश को अपना मन दो" लेकिन इसके साथ ही हमने अपने नवीन दृष्टिकोण से कृषि में नए प्रयोग ,अनुसंधान व वैज्ञानिक विधिओ को बढ़ावा देने के माध्यम से आज अनाज उत्पादन में न केवल अपनी समूची जनसंख्या के लिए खाद्यान्न उपलब्ध करवाते हैं बल्कि कृषि उत्पादों का निर्यात भी करते हैं, वर्तमान में भारत खाद्य उत्पादन के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
चांद पर लहराया तिरंगा; भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक डॉक्टर विक्रम साराभाई को माना जाता है उन्होंने 15 अगस्त 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की स्थापना की, 22 अक्टूबर 2008 को इसरो द्वारा चंद्रयान-1 भेजा गया इसने चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति का पता लगाया, वही 2019 में भेजा गया चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग असफल हुई लेकिन आर्बिटल चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया ;चंद्रयान-3 ,2023 में भेजा गया यह मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा अब भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिसने चंद्रमा की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता पाई है।
शिक्षा,
स्वतंत्रता के बाद के 75 वर्षों में देश की जो विशिष्ट उपलब्धियां रही हैं, उनमें शिक्षा के विस्तार को सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है। आज देश में 15 लाख से ज्यादा प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय हैं, जिनमें 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे शिक्षा पाते हैं। 1 करोड़ से ज्यादा शिक्षक शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों की संख्या 1113 है, जिनमें कुल मिला कर 4.2 करोड़ युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
वर्तमान भारत की तुलना यदि 1947 में भारत में शिक्षा की स्थिति से की जाए तो बहुत आश्चर्य होगा कि 1947 से पहले सिर्फ 16 प्रतिशत लोग ही साक्षर थे। देश में विश्वविद्यालयों की संख्या मात्र 20 और कॉलेजो की संख्या 591 मात्र थी। देश के शीर्षस्थ 5 प्रतिशत विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान, जिनमें 20 आईआईटी, 21 आईआईएम, 54 केंद्रीय विश्वविद्यालय, एनआईटी और एम्स भी शामिल हैं, जो दुनिया के अनेक नामचीन संस्थानों में अपना स्थान बना रहे हैं।
यात्रा में तेजी : भारत ने बस, रेल और हवाई यात्रा में भी अभूतपूर्व उन्नति की। आजादी के समय 32 लाइनों समेत कुल 42 अलग-अलग रेलवे प्रणालियां थीं। ये लाइनें करीब 33,000 किमी की थीं। वर्ष 1951 में इनका राष्ट्रीयकरण किया गया और अब भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है। अब हमारे पास 68,312 किमी मार्ग पर 115,000 किमी का ट्रैक और 7,112 स्टेशन हैं। जिन पर अब बुलेट और वंदे भारत जैसी सुपरफास्ट ट्रेने दौड़ती हैं। इसी प्रकार अब भारतीय लोग देश और दुनिया में कहीं भी सुगमता से हवाई यात्रा कर सकते हैं। वर्ष 2015 में सालाना 25-40 मिलियन यात्री श्रेणी में एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल ने दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे को सर्वश्रेष्ठ हवाई अड्डे का खिताब दिया है।
इन सब के साथ ही साथ ऐसे बहुत से प्रयास हैं जिनमे हम अपनी निरंतरता का परिचय दे रहे हैं । जैसे मेक इन इंडिया ,मिशन स्वच्छ भारत ,सांसद आदर्श ग्राम योजना,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,पीएम मुद्रा योजना, उज्ज्वला योजना ,स्मार्ट सिटी पहल व डिजिटल इंडिया मिशन इत्यादि योजनाओं के माध्यम से एक सुनहरे और संवृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर हैं।
स्वतंत्रता दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्म-निरीक्षण का भी दिन है—हमने क्या हासिल किया है और हमें अभी कितना आगे जाना है। इस दिन हमें अपने मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को याद करते हुए, भारत को एक सशक्त, समृद्ध और समान राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
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😊
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