
"भूल जाने का अधिकार" (Right to be Forgotten) एक महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत है जो व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत डेटा को इंटरनेट और अन्य सार्वजनिक प्लेटफार्मों से हटाने का अधिकार देता है जब वह जानकारी आवश्यक या प्रासंगिक नहीं रह जाती है। यह अधिकार मुख्य रूप से निजता के अधिकार के तहत आता है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के अंतर्गत देखा जा सकता है।
संरचना और महत्व:
निजता का अधिकार:अनुच्छेद 21 के तहत गरिमामय जीवन का अधिकार शामिल है, जिसमें निजता का अधिकार एक महत्वपूर्ण भाग है।निजता का अधिकार उच्चतम न्यायालय द्वारा "पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ" (2017) के मामले में स्थापित किया गया था।डिजिटल युग में चुनौतियां:डिजिटल मीडिया के तेजी से विकास के कारण व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और निजता की चुनौतियाँ बढ़ गई हैं।
फेक न्यूज, डीपफेक, और अन्य डिजिटल दुष्प्रचार के बढ़ते खतरे के बीच, भूल जाने का अधिकार महत्वपूर्ण हो जाता है।व्यक्तिगत डेटा संरक्षण:व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत डेटा की सुरक्षा और उपयोग के संबंध में स्पष्ट प्रावधान हैं।सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 भी कंप्यूटर डेटा की सुरक्षा के लिए प्रावधान करता है।
कानूनी और सामाजिक जागरूकता:सरकार को इन कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए।सामाजिक और व्यक्तिगत जागरूकता के माध्यम से ही इन प्रावधानों का सही उपयोग संभव है।व्यवस्थित प्रस्तुति भूल जाने का अधिकार और निजता का अधिकार: भूल जाने का अधिकार निजता के अधिकार का एक अंग है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत, गरिमामय जीवन और निजता का अधिकार शामिल है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि व्यक्तिगत जानकारी जब आवश्यक या प्रासंगिक नहीं रहती, तो उसे इंटरनेट और अन्य सार्वजनिक प्लेटफार्मों से हटाया जा सके।
डिजिटल युग में चुनौतियाँ:
वर्तमान डिजिटल युग में, जहाँ फेक न्यूज और डीपफेक जैसी तकनीकें आम हो गई हैं, भूल जाने का अधिकार और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह अधिकार लोगों को अफवाहों और गलत जानकारी से सुरक्षित रखता है और उनके गरिमामय जीवन की रक्षा करता है।
कानूनी प्रावधान: व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2019 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं। सरकार को इन कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए।सामाजिक जागरूकता: सामाजिक और व्यक्तिगत जागरूकता के माध्यम से ही इन प्रावधानों का सही उपयोग संभव है। इससे हम एक प्रगतिशील और सुरक्षित समाज का निर्माण कर सकते हैं।
निष्कर्ष :भूल जाने का अधिकार एक महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत है जो लोगों को उनके व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और निजता की रक्षा करने में सहायता करता है। इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कानूनी, सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।
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