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खाद्य सुरक्षा: आज की जिम्मेदारी, कल की सुरक्षा।

 खाद्य सुरक्षा: आज की जिम्मेदारी, कल की सुरक्षा।






परिचय :- 

खाद्य सुरक्षा हमारे समाज की बुनियाद है; सही और सुरक्षित भोजन प्राप्त करना हर व्यक्ति का बुनियादी मौलिक अधिकार है। ऐसे में जब हम खाद्य सुरक्षा से जुड़ी विकराल समस्याओं को देखते हैं, तो हमारे जेहन में यह सवाल उठता है कि इन समस्याओं का समाधान कैसे संभव हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की "स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट" के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। बढ़ती आबादी ने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ा दिया है, जिस पर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है जिसने खाद्य सुरक्षा के समक्ष चुनौती उत्पन्न की है।

मुख्य मुद्दे :- 

बढ़ती जनसंख्या ने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को बढ़ा दिया है। पूरी दुनिया की आबादी में अकेले एशिया की हिस्सेदारी 61 प्रतिशत है। यही भारत के लिए दुनिया की महाशक्ति बनने में सबसे बड़ी बाधा है। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, पानी की कमी, और अपराध जैसे मुद्दों के पीछे भी जनसंख्या वृद्धि एक बड़ा कारण है। देश के कुल 60 प्रतिशत हिस्से पर खेती होने के बावजूद करीब 20 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हैं।

जलवायु परिवर्तन:

जलवायु परिवर्तन ने भी खाद्य सुरक्षा के सामने चुनौती उत्पन्न की है। कृषि योग्य भूमि का अतिक्रमण हो रहा है, जिससे भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ रहा है।

नीतियाँ :- 

जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन वे सफल नहीं रही हैं। एक प्रभावी राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है। अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के अनुसार, "अकाल और खाद्य समस्या का मुख्य कारण सिर्फ खाद्य पदार्थों का अभाव नहीं है, बल्कि लोगों की क्रय शक्ति में कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है"। सरकार को हर संभव प्रयास करना चाहिए जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढ़ सके। इसके लिए खेतों की जोत का आकार सही होना चाहिए, उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध होने चाहिए, और खाद्य सुरक्षा के लिए समग्र सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।जनसंख्या नियंत्रण और खाद उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता केवल भारत की नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय है। इन दोनों समस्याओं का समाधान वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों के माध्यम से ही संभव है।

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