परिचय -
नेपाल दक्षिण एशिया का एकमात्र हिंदू बहुल गणराज्य है, जिसका इतिहास राजतंत्र से लेकर आधुनिक लोकतंत्र तक फैला हुआ है। लिच्छवि और मल्ल राजाओं से लेकर पृथ्वीनारायण शाह तक और फिर 2008 में गणराज्य की घोषणा तक, नेपाल की यात्रा हमेशा अनोखी रही है। यदि हम ऐतिहासिक घटनाओं पर नज़र डालें तो पाएँगे कि नेपाल का इतिहास संघर्ष और बदलाव से भरा रहा है—राजतंत्र से लोकतंत्र, फिर आंदोलन और अंततः गणराज्य तक।
प्रथम जनआंदोलन (1990)
नेपाल में पहला बड़ा जनआंदोलन 1990 में हुआ। 1960 में राजा महेंद्र ने लोकतंत्र समाप्त कर पंचायती व्यवस्था लागू कर दी थी। इसके विरोध में जनता और राजनीतिक दलों ने जबरदस्त आंदोलन किया। दबाव में आकर सरकार को संवैधानिक राजतंत्र और बहुदलीय लोकतंत्र बहाल करना पड़ा।
द्वितीय जनआंदोलन (2006)
दूसरा बड़ा आंदोलन तब हुआ जब 2005 में राजा ज्ञानेन्द्र ने संसद भंग कर सीधा राजशाही शासन लागू कर दिया। जनता सड़कों पर उतर आई और व्यापक विरोध हुआ। परिणामस्वरूप राजा की शक्तियाँ समाप्त कर दी गईं, संसद बहाल हुई और 2008 में नेपाल को गणराज्य घोषित किया गया।
वर्तमान परिदृश्य – Gen-Z आंदोलन
इसी उथल-पुथल की अगली कड़ी के रूप में आज हम Gen-Z आंदोलन को देख रहे हैं। इसे मुख्यतः युवा पीढ़ी ने आगे बढ़ाया है। इसका प्रमुख मुद्दा सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आज़ादी और भ्रष्टाचार है।
हालाँकि शुरुआत में यह आंदोलन सीमित लग रहा था, लेकिन इसकी उग्रता और परिणामों ने सबको चौंका दिया। सरकार को इतना दबाव झेलना पड़ा कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा। यह स्पष्ट करता है कि यह आंदोलन सिर्फ़ सोशल मीडिया प्रतिबंध का परिणाम नहीं, बल्कि लंबे समय से जमा असंतोष का विस्फोट है—जिसमें सोशल मीडिया बैन ने उत्प्रेरक की भूमिका निभाई।
इतिहास गवाह है कि छोटे-छोटे आंदोलनों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, जैस्मिन क्रांति ने पूरे अरब विश्व में क्रांतियों की श्रृंखला को जन्म दिया था और सत्ता के स्वरूप को बदल दिया था। भ्रष्टाचार और तानाशाही जब हद पार कर जाती है, तो उसका खामियाज़ा मासूम जनता को भुगतना पड़ता है। नेपाल में भी आगजनी, झड़पों और सुरक्षाबलों की फायरिंग में कई निर्दोष लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी है।
ऐसे हालात हमें चेतावनी देते हैं कि किसी भी परिस्थिति को इतना न बिगड़ने दें कि युवाओं का असंतोष चरम पर पहुँच जाए।
निष्कर्ष-
यदि निष्कर्ष रूप में कहें तो नेपाल का इतिहास हमेशा बदलाव का रहा है। वर्तमान का Gen-Z आंदोलन उसी कड़ी की एक नई कड़ी है। नेपाल का यह नया अध्याय हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र केवल संविधान की किताबों में नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ और युवाओं की शक्ति में बसता है। सवाल सिर्फ़ नेपाल का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का है—क्या हम अपनी युवा पीढ़ी की आवाज़ सुन रहे हैं ?
5 Comments
Great 👍
ReplyDeleteसुंदर लेख।
ReplyDeleteNicely written
ReplyDeleteप्रासंगिक जानकारी से भरपूर संक्षिप्त लेख, ब्लॉग लेखन जारी रखें। LinkedIn पर यह लेख पढ़ने को मिला।
ReplyDeleteशानदार लेख 💫
ReplyDelete