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टिप्पणी:एमएसपी का मुद्दा

 संपादकीय: फसलों के मूल्य निर्धारण का द्वंद्व 

फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस चल रही है। हाल ही में सरकार ने कई फसलों की MSP लागत को लगभग डेढ़ गुना तक बढ़ाने की पहल की है, जो स्वागत योग्य कदम है। लेकिन इस पहल के साथ-साथ, किसान आंदोलनों की ओर भी ध्यान आकर्षित हुआ है, जहाँ किसान सभी फसलों के लिए MSP की गारंटी की माँग कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे न केवल उनकी आय में स्थिरता आएगी, बल्कि फसल विविधिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि MSP व्यवस्था का व्यापक प्रभाव नवाचारों पर पड़ सकता है और इससे कृषि में नवाचार की गति धीमी हो सकती है। वर्तमान स्थिति में किसानों और सरकार के बीच मतभेद जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐसे में, सरकार को किसानों के हितों को केंद्र में रखते हुए नीतिगत सुधार और नवाचारी योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए।

यह आवश्यक है कि सरकार ऐसी नीतियाँ बनाए जिससे किसानों को बिचौलियों और ठेकेदारों के शोषण से बचाया जा सके और उनके मुनाफे को अधिकतम किया जा सके। इस दिशा में कदम बढ़ाकर ही किसानों की आर्थिक स्थिरता और कृषि के विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है ।


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